काव्यामृत

स्वर्ण-पंख गुरु-ने दिये, छुआ-चाँद को आज।

लक्ष्मी कान्त सोनी

दोहा-
छंदाधारित मुक्तक
—————————
1-
स्वर्ण-पंख गुरु-ने दिये,
छुआ-चाँद को आज।
ब्रम्हा-ज्ञान गुरु-से मिला,
जान-गया गुरु-राज।।
घूमा-तीनों लोक में,
फैलाकर निज-पंख।
गुरुवर ही निज-शिष्य का,
सिद्ध-करें हर-काज।।
2-
सकल-सृष्टि से श्रेष्ठ है,
परमेश्वर-का धाम।
ब्रह्म-लोक से उच्च है,
अपने गुरु-का नाम।।
दया-सिंधु गुरु आपके,
मुख-में रहते वेद।
नमन-करूँ गुरु-देव को,
नित्य-सुबह अरु शाम।।
—————————
प्रभुपग धूल

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!