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मोबाइल व्हाट्सएप पर उक्त ब्रेकिंग न्यूज़ का प्रचार प्रसार हेतु एक समाचार आया कि देश में जन निर्वाचन के माध्यम से संसद सदस्य व विधायक व राज्यसभा सदस्य तथा ग्रामीण स्थर पर ग्राम प्रधानों को तथा स्थानीय निकाय के प्रतिनिधियों को वेतन न देकर मात्रा भत्ता दिया जाता है लेकिन देश को चलाने वाले सांसद व मंत्रिमंडल के सदस्यों को तथा विधान मंडल के सदस्यों एवं मंत्रियों को मंत्रियों को वेतन व विभिन्न सुख सुविधाएं भारत सरकार व राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती है के लोगों ने एक याचिका उच्चतम न्यायालय दिल्ली में पूर्व से ही प्रेषित है इसको कई बार भारतीय कुछ हिम्मतवर महान भावों द्वारा याचिका के माध्यम से उक्त वर्णित सदस्यों एवं मंत्रीमंडलों के विरुद्ध इस असाह की याचिका दायर की गई कि उक्त महानुभावों का वेतन पेंशन तथा अन्य सुविधाएं जो विदेशों तक लागू है उनको बंद किया जाए क्योंकि यह जनता द्वारा मात्र 5 साल के लिए निर्वाचित होते हैं जबकि कर्मचारी व अधिकारी सिलेक्टेड होकर वेतन व पेंशन के अधिकारी कर्मचारी होते हैं इस तर्क के अनुसार भारत के समस्त नागरिकों को अवगत कराया जाता है कि वह अपने स्तर से अधिक से अधिक जनता को
इसकी जानकारी व संदेश देकर जागरूक करें सरकार जनता को अनविघय रखते हुए जनता से टैक्स का दुरुपयोग नहीं है तो और क्या
रामकुमार श्रीवास्तव एडवोकेट व जय नारायण वर्मा आरटीआई एक्टिविस्ट